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मेरे सामने | शाही शायरी
mere samne

नज़्म

मेरे सामने

मोहम्मद अल्वी

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मेरी तन्हाई
दीवार बन के खड़ी है!

तो क्या मैं उसे चाट जाऊँ
मगर उस तरफ़ भी

अगर मैं हुआ तो!