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मेरे बाद आ | शाही शायरी
mere baad aa

नज़्म

मेरे बाद आ

ऐन रशीद

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बदलेगा रंग शाम-ए-अलम
मेरे बाद आ

होगा ज़रा सा दर्द भी कम
मेरे बाद आ

तन्हाइयाँ भी अपनी हैं
अपनी हैं साअतें

ख़ुद-साख़्ता हैं सारे ये ग़म
मेरे बाद आ

ख़्वाबों के इस मुंडेर से देखा किए मुझे
ये और बात है कि हुई चश्म मेरी नम

नमनाकियों की बात ख़त्म
मेरे बाद आ

हरियालियों की भीड़
मगर दुख की काश्त है

बदलेगा रंग चर्ख़-ए-कुहन
मेरे बाद आ