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मेहंदी | शाही शायरी
mehndi

नज़्म

मेहंदी

उरूज ज़ेहरा ज़ैदी

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मैं उस के नाम की मेहंदी
सजा कर अपने हाथों पर

उन्हें ता-देर तकती हूँ
कि जितना प्यार वो करता है रंग उतना ही गहरा हो

मगर ये देख कर हैरान होती हूँ
न-जाने क्यूँ

मिरे हाथों पे हर मेहंदी का रंग कच्चा ही आता है