EN اردو
मौत | शाही शायरी
maut

नज़्म

मौत

ज़ाहिदा ज़ैदी

;

उफ़ुक़-ए-ज़ीस्त से इक और सितारा टूटा
इक किरन और हुई रात की ज़ुल्मत में असीर

फिर किसी नग़्मा-ए-बेताब की लय साज़ से आज़ाद हुई
एक ताबिंदा हक़ीक़त कि जो थी राज़ हुई

सर्द पैमान-ए-वफ़ा सर्द हुई आतिश-ए-शौक़
सर्द जज़्बात का तूफ़ान ख़मोश

सर्द ताबिंदा निगाहों के शरार
सर्द-बर-कैफ़ियत-ए-ग़म की सुलगती हुई आग

जाम पुर-शोर से गिर जाने दो नाकाम तमन्नाओं की मय
फ़र्श-ए-मय-ख़ाना-ए-उल्फ़त पे उलट दो साग़र

सर-निगूँ बंद दरीचों में उम्मीदों के दिए गुल कर दो
दास्ताँ सोज़-ओ-मोहब्बत की अधूरी है

मगर
अलमिया ख़त्म हुआ

दिल-शिकन आख़िरी मंज़र पे गिरा दो पर्दे