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मौत की तलाशी मत लो | शाही शायरी
maut ki talashi mat lo

नज़्म

मौत की तलाशी मत लो

सारा शगुफ़्ता

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बादलों में ही मेरी तो बारिश मर गई
अभी अभी बहुत ख़ुश लिबास था वो

मेरी ख़ता कर बैठा
कोई जाए तो चली जाऊँ

कोई आए तो रुख़्सत हो जाऊँ
मेरे हाथों में कोई दिल मर गया है

मौत की तलाशी मत लो
इंसान से पहले मौत ज़िंदा थी

टूटने वाले ज़मीन पर रह गए
मैं पेड़ से गिरा साया हूँ

आवाज़ से पहले घट नहीं सकती
मेरी आँखों में कोई दिल मर गया है…