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मौत | शाही शायरी
maut

नज़्म

मौत

गीताञ्जलि राय

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क्या हर मौत के लिए ज़रूरी होती हैं
रुकी हुई साँसें पथराई आँखें चार कंधे

और घर से शमशान तक की आख़िरी दुनिया-दारी
कभी कभी मौत की निशानी होतीं है

उम्र से ज़्यादा समझदारी वाली बातें
हमेशा हँसने वाले चेहरे

और कभी ना लड़ने वाली मोहब्बतें