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मशवरा | शाही शायरी
mashwara

नज़्म

मशवरा

मोहम्मद अल्वी

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रातों को सोने से पहले
नई पुरानी यादों को

उलट-पलट करते रहना
वर्ना काली पड़ जाएँगी

इधर उधर से सड़ जाएँगी