मैं ने जो चाहा
वो हो गया
ये और बात है
इस होने में कितने बरस सर्फ़ हुए
मैं ने
उस ख़ूबसूरत लड़की के साथ
कितना वक़्त बसर किया
ये बात कोई वक़अत नहीं रखती
मैं उस के पास गया
उसे चूमा
और अपने बाज़ूओं में भर लिया
सरशारी कहाँ से शुरूअ' होती है
ये मैं ने जान लिया
उस की हद कहाँ ख़त्म होती है
ये भी मा'लूम हो गया
अब ज़िंदा रहने का कोई जवाज़ नहीं
नज़्म
मैं ने जो चाहा
मुस्तफ़ा अरबाब