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मैं ने अक्सर ख़्वाब में देखा | शाही शायरी
maine akasr KHwab mein dekha

नज़्म

मैं ने अक्सर ख़्वाब में देखा

मोहसिन नक़वी

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मैं ने अक्सर ख़्वाब में देखा
ख़ौफ़ तराशे कोहसारों की गोद में जैसे

इक पथरीली क़ब्र बनी है
क़ब्र की उजली पेशानी पर

धुँदले मैले शीशे की तख़्ती के पीछे
तेरा नाम लिखा है

तेरा मेरा नाम कि जिस में
शीशे पत्थर जैसी कोई बात नहीं है

तेरी शोहरत में भी
मेरी रुस्वाई का हात नहीं है

फिर भी
सोचो

मैं ने अक्सर ख़्वाब में देखा