मैं डरता हूँ
अपने पास की चीज़ों को
छू कर शाइरी बना देने से
रोटी को मैं ने छुआ
और भूक शाइरी बन गई
उँगली चाक़ू से कट गई
और ख़ून शाइरी बन गया
गिलास हाथ से गिर कर टूट गया
और बहुत सी नज़्में बन गईं
मैं डरता हूँ
अपने से थोड़ी दूर की चीज़ों को
देख कर शाइरी बना देने से
दरख़्त को मैं ने देखा
और छाँव शाइरी बन गई
छत से मैं ने झाँका
और सीढ़ियाँ शाइरी बन गईं
इबादत-ख़ाने पर मैं ने निगाह डाली
और ख़ुदा शाइरी बन गया
मैं डरता हूँ
अपने से दूर की चीज़ों को
सोच कर शाइरी बना देने से
मैं डरता हूँ
तुम्हें सोच कर
देख कर
छू कर
शाइरी बना देने से
नज़्म
मैं डरता हूँ
अफ़ज़ाल अहमद सय्यद