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मैं बुलंदियों पर जल रहा हूँ | शाही शायरी
main bulandiyon par jal raha hun

नज़्म

मैं बुलंदियों पर जल रहा हूँ

क़मर जमील

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मैं अपने घर में दिए की तरह
जलना चाहता था

मगर अब एक फ़्लैट में
बल्ब की सूरत जल रहा हूँ

अगर कोई मुझे बुझाना चाहता है
तो मेरे बच्चे फिर मुझे जला देते हैं