तुम थी मुझ में ही
मेरे अंदर
तुम्हारे होने ने ही
मुझे
तन्हाई का एहसास दिया
तुम मुझ में से ही हो
तुम्हें मैं ने जन्म दिया है
अपने ही जिस्म के हिस्से से
और
तुम्हारे ही जिस्म से
पैदा किया
मैं ने
अपने रूप को
नज़्म
मैं और तुम
शहाब अख़्तर
नज़्म
शहाब अख़्तर
तुम थी मुझ में ही
मेरे अंदर
तुम्हारे होने ने ही
मुझे
तन्हाई का एहसास दिया
तुम मुझ में से ही हो
तुम्हें मैं ने जन्म दिया है
अपने ही जिस्म के हिस्से से
और
तुम्हारे ही जिस्म से
पैदा किया
मैं ने
अपने रूप को