बहुत ख़ूबसूरत
ख़ुशनुमा
हँसते मुस्कुराते
गाते गुनगुनाते
वो धड़कते लम्हे
जीते जागते लम्हे
यक-ब-यक
एक दिन
हो गए रू-ब-रू
पुरानी किताब के
पन्ने में दबे हुए
लेकिन ये क्या
ताज़ा गुलाबों से भी ज़ियादा
महक रहे थे ये
इन सूखे हुए फूलों से
आ रही थी
गुज़रे हुए पलों की
ताज़ा ख़ुश्बू
नज़्म
माज़ी
ख़दीजा ख़ान