मायूस तो हूँ वा'दे से तिरे
कुछ आस नहीं कुछ आस भी है
मैं अपने ख़यालों के सदक़े
तू पास नहीं और पास भी है
हम ने तो ख़ुशी माँगी थी मगर
जो तू ने दिया अच्छा ही दिया
जिस ग़म का तअ'ल्लुक़ हो तुझ से
वो रास नहीं और रास भी है
पलकों पे लरज़ते अश्कों में
तस्वीर झलकती है तेरी
दीदार की प्यासी आँखों में
अब प्यास नहीं और प्यास भी है
नज़्म
मायूस तो हूँ वा'दे से तिरे
साहिर लुधियानवी