जिन बच्चों को
अपना सारा जीवन दे कर
पाला पोसा
वो बच्चे जब दूर गए हों
उन की राह तकती रहती है
उन की याद में खो जाती है
चुपके चुपके रोती है
रोते रोते सो जाती है
माँ जब बूढ़ी हो जाती है

नज़्म
माँ
नईम जर्रार अहमद
नज़्म
नईम जर्रार अहमद
जिन बच्चों को
अपना सारा जीवन दे कर
पाला पोसा
वो बच्चे जब दूर गए हों
उन की राह तकती रहती है
उन की याद में खो जाती है
चुपके चुपके रोती है
रोते रोते सो जाती है
माँ जब बूढ़ी हो जाती है