तेरे दम से फिर वतन वालों में पैदा हो हयात
पंजा-ए-अग़्यार से हो हिन्द को हासिल नजात
काम आ जाए वतन की राह में तेरा शबाब
ग़ैरतें ज़िंदानियों की फिर उलट डालें नक़ाब
तू बदल डाले निज़ाम-ए-हिंद के लैल-ओ-नहार
ये ग़ुलाम आबाद हो आज़ाद मुल्कों में शुमार
आस्तीन-ए-हिन्द हो तेरे लहू से लाला-फ़ाम
पादशाहों का लक़ब पाने लगें हिन्दी ग़ुलाम
हड्डियाँ पिस कर बनें ग़ाज़ा उरूस-ए-हिन्द का
हुस्न फिर हो जाए कुछ ताज़ा उरूस-ए-हिन्द का
तेरे होंटों से ब-वक़्त-ए-मर्ग ये निकले सदा
नौजवानान-ए-वतन आगे बढ़ो आगे ज़रा
नज़्म
माँ की दुआ
अल्ताफ़ मशहदी