अल्लाह-जी 
हम सो नहीं पाते 
अम्मी को कब भेजोगे 
नानी कहती हैं 
तुम हम से रूठे हो 
लेकिन अब हम 
रोज़ाना मकतब जाएँगे 
तुम को तख़्ती पर लिक्खेंगे 
असलम मिस्टर गंदे हैं 
उन के साथ नहीं खेलेंगे 
अल्लाह-जी 
अब मान भी जाओ 
चाहो तो 
अम्मी के बदले 
हम से सारी चीज़ें ले लो 
गेंद भी ले लो 
और गोली भी 
लट्टू ओर ग़ुलैल भी ले लो 
लेकिन हम को अम्मी दे दो 
हम को हमारी अम्मी दे दो
        नज़्म
माँ के इंतिक़ाल पर
शकील आज़मी

