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माँ के इंतिक़ाल पर | शाही शायरी
man ke intiqal par

नज़्म

माँ के इंतिक़ाल पर

शकील आज़मी

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अल्लाह-जी
हम सो नहीं पाते

अम्मी को कब भेजोगे
नानी कहती हैं

तुम हम से रूठे हो
लेकिन अब हम

रोज़ाना मकतब जाएँगे
तुम को तख़्ती पर लिक्खेंगे

असलम मिस्टर गंदे हैं
उन के साथ नहीं खेलेंगे

अल्लाह-जी
अब मान भी जाओ

चाहो तो
अम्मी के बदले

हम से सारी चीज़ें ले लो
गेंद भी ले लो

और गोली भी
लट्टू ओर ग़ुलैल भी ले लो

लेकिन हम को अम्मी दे दो
हम को हमारी अम्मी दे दो