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लेकिन | शाही शायरी
lekin

नज़्म

लेकिन

अंबरीन हसीब अंबर

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तुम ने थामा हाथ जो मेरा
मैं ने समझा अपने दिल की सारी बातें

बस अब तुम से कह डालूँगी
और तुम्हारे सीने लग कर

अपने सारे ग़म रो लूँगी
लेकिन तुम भी हँसते चेहरे के दीवाने

सच है अब हम अपनी अपनी दुनियाओं में गुम रहते हैं
ये भी सच हम दोनों बिल्कुल तन्हा जीना सीख गए हैं

सच है चाहत की वो बातें
दोनों ही को याद नहीं हैं

ये भी सच तजदीद-ए-वफ़ा अब
ना-मुम्किन है

सब कुछ सच है
लेकिन तुम से आँख मिलाते दिल डरता है