लफ़्ज़ों के हथियार
सँभल कर
कीजिए इस्ति'माल
ज़रा चूके तो
हदें सारी
टूट जाएँगी
चकना-चूर हो जाएँगे
रिश्तों के गुल-दान
रहें होशियार
कर दे न कोई वार
बड़े जान लेवा होते हैं
ये लफ़्ज़ों के हथियार
नज़्म
लफ़्ज़
ख़दीजा ख़ान
नज़्म
ख़दीजा ख़ान
लफ़्ज़ों के हथियार
सँभल कर
कीजिए इस्ति'माल
ज़रा चूके तो
हदें सारी
टूट जाएँगी
चकना-चूर हो जाएँगे
रिश्तों के गुल-दान
रहें होशियार
कर दे न कोई वार
बड़े जान लेवा होते हैं
ये लफ़्ज़ों के हथियार