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लफ़्ज़ | शाही शायरी
lafz

नज़्म

लफ़्ज़

ख़दीजा ख़ान

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लफ़्ज़ों के हथियार
सँभल कर

कीजिए इस्ति'माल
ज़रा चूके तो

हदें सारी
टूट जाएँगी

चकना-चूर हो जाएँगे
रिश्तों के गुल-दान

रहें होशियार
कर दे न कोई वार

बड़े जान लेवा होते हैं
ये लफ़्ज़ों के हथियार