अबु-जेहल अन-पढ़ कहाँ था
कि अन-पढ़ तो नबी थे
जिन्हें ला पे इसरार था
और ये भी
कि ला से ख़ला तक
ख़ला से परे भी
ख़ुदा का जहाँ था
कि मेराज-ए-आदम में
तकरीम-ए-आदम
ख़ुदा ला-मकाँ था
अबु-जेहल अपने क़बीले में
अफ़ज़ल था आलिम-सिफ़त था
कि अज्दाद ने जिन बुतों को तराशा
अबु-जेहल ने उन को सज्दा किया
ला को जाना तमाशा
नज़्म
ला से ख़ला तक
सलाहुद्दीन मोहम्मद