किसी को क्या दे सकते हो तुम!
चाँद किसी को दे सकते हो?
तारे?
या फिर जगमग जुगनू किसी को दे सकते हो?
सूखी शाख़ को हरा सा पत्ता
प्यास को शबनम का इक क़तरा
बुझी बुझी सी आँख को ज्योति
भूक को रोटी
दे सकते हो?
मुझे बताओ:
धूप को साया दे सकते हो?
दश्त को दरिया दे सकते हो?
तीन सौ पैंसठ दिनों में मुझ को
इक दिन अच्छा दे सकते हो
नज़्म
क्या दे सकते हो?
कुमार पाशी