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कूज़ा-गर | शाही शायरी
kuza-gar

नज़्म

कूज़ा-गर

फ़रहत एहसास

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ऐ कूज़ा-गर!
मिरी मिट्टी ले

मेरा पानी ले
मुझे गूँध ज़रा

मुझे चाक चढ़ा
मुझे रंग-बिरंगे बर्तन दे