कई दिनों से मेरे सर में
सुब्ह शाम और रात रात भर
ना-उम्मीद परिंदे उड़ते रहते हैं
उन्हें रोकना मुश्किल है
लेकिन अपनी काली काली ज़ुल्फ़ों में
घोंसला करने से
मैं रोक तो नहीं सकता हूँ उन को

नज़्म
कोशिश
जयंत परमार
नज़्म
जयंत परमार
कई दिनों से मेरे सर में
सुब्ह शाम और रात रात भर
ना-उम्मीद परिंदे उड़ते रहते हैं
उन्हें रोकना मुश्किल है
लेकिन अपनी काली काली ज़ुल्फ़ों में
घोंसला करने से
मैं रोक तो नहीं सकता हूँ उन को