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कोमल जज़्बे | शाही शायरी
komal jazbe

नज़्म

कोमल जज़्बे

मुस्तफ़ा अरबाब

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मोहब्बत
हमारे दिलों में अक्सर उभरती है

उस से लुत्फ़-अंदोज़ होते रहो
पड़ोसियों का ख़ुलूस

एक फूल है
उस की महक में तुम्हारा भी हिस्सा है

रिश्ता एक तअ'ल्लुक़ है
और तअ'ल्लुक़

हमें ज़िंदा रहने में मदद देता है
जज़्बे चाँद का हाला हैं

उन्हें महसूस करो
अपनी उँगलियों की पोरों से

उन्हें सहलाते रहो
एहतियात से

सलीक़े से
जज़्बों को ख़ुर्चो मत

क़लई उतर जाएगी