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jinhen main DhunDhta tha aasmanon mein zaminon mein wo nikle mere zulmat-KHana-e-dil ke makinon mein
नज़्म
मैराज नक़वी
और ज़िंदगी को किताब समझ लेने वाले मुझ जैसे पागल इंसान को एक दिन तो दीमक की ख़ुराक होना ही था