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किताब को ज़िंदगी | शाही शायरी
kitab ko zindagi

नज़्म

किताब को ज़िंदगी

मैराज नक़वी

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और ज़िंदगी को किताब
समझ लेने वाले

मुझ जैसे पागल इंसान को
एक दिन तो दीमक की ख़ुराक होना ही था