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कीचड़ में अटा मौसम | शाही शायरी
kichaD mein aTa mausam

नज़्म

कीचड़ में अटा मौसम

आदिल मंसूरी

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पत्थरों पर जमी हुई नज़रें
गाढ़ा सय्याल लम्हा लम्हा रवाँ

फैलती बू फ़ज़ा, में नाक सड़ाँध
आसमाँ से बरस रहे मेंडक

गिरते हैं गिर के फिर सँभलते हैं
गाढ़े सय्याल में फुदकते हैं

और सूरज की सुर्ख़ आँखों में
काई की परतें जमती जाती हैं

बंद दरवाज़े पर सबा दस्तक
कोई आता न कोई जाता है

बंद दरवाज़ा मुस्कुराता है