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''ख़्वाहिश बाज़ू फैलाती है'' | शाही शायरी
KHwahish bazu phailati hai

नज़्म

''ख़्वाहिश बाज़ू फैलाती है''

हनीफ़ तरीन

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उस के बदन की पागल ख़ुशबू
अपने परों पर मुझ को उड़ाए

चारों दिशा की सैर कराए
रात जगाए

दिन सुलगाए