ख़ुश हैं ऐसे लोग दुनिया में जो ख़ुश-ख़ूराक हैं
और उन लोगों के दस्तर-ख़्वान हैबतनाक हैं
उन के दस्तर-ख़्वान पे ख़ुशबू मिसाली चाय की
चार अंडे छे स्लाइस दस पियाली चाय की
हो गए जब चाय की लज़्ज़त से दिल-बर्दाश्ता
खा लिए आधा किलो अंगूर ब'अद-अज़-नाश्ता
जब कहीं मौक़ा मिला थोड़ा सा बिस्कुट खा लिया
नोश-ए-जाँ फ़रमा लिया फिर पान सिगरेट छालिया
दोपहर में छे चपाती चार अंडे आॉमलेट
चार-छे शामी कबाब और इक नहारी के प्लेट
कोफ़ते हस्ब-ए-लियाक़त एक लस्सी का गिलास
खा गए और पी गए मौसूफ़ बे-ख़ौफ़-ओ-हिरास
दावतों के जाल फैलाए हुए हैं हर तरफ़
कह दिया खाने से पहले ही तकल्लुफ़-बर-तरफ़
रात को थोड़ी सी जेली कुछ मुरब्बा आम का
कुछ पपीता ले लिया फिर हाज़मे के नाम का
दो पराठे ले लिए कुछ देर सुस्ताने के ब'अद
''इक तिरे आने से पहले इक तिरे जाने के ब'अद''
नज़्म
ख़ुश-ख़ूराक
खालिद इरफ़ान