मुझे इस का दुख है
कि मैं ने तुझे
आज तक क्यूँ न जाना!
ख़ुदा ऐ ख़ुदा
मैं समझता था तू
एक ज़ालिम है जो
मुझ पे ज़ुल्म-ओ-सितम ढा रहा है!
मुझे ये ख़बर ही नहीं थी
कि तू भी
दुखी है!
अकेला है!!
मैं और तू
एक ही आग में जल रहे हैं!!
नज़्म
ख़ुदा
मोहम्मद अल्वी