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ख़ुदा | शाही शायरी
KHuda

नज़्म

ख़ुदा

मोहम्मद अल्वी

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मुझे इस का दुख है
कि मैं ने तुझे

आज तक क्यूँ न जाना!
ख़ुदा ऐ ख़ुदा

मैं समझता था तू
एक ज़ालिम है जो

मुझ पे ज़ुल्म-ओ-सितम ढा रहा है!
मुझे ये ख़बर ही नहीं थी

कि तू भी
दुखी है!

अकेला है!!
मैं और तू

एक ही आग में जल रहे हैं!!