उदास है तो बहुत ख़ुदाया
कोई न तुझ को सुनाने आया
वो सर जो तेरे उजाड़ दिल में
चराग़ बन कर चमक रही है
कोई न तुझ को दिखाने आया
अजीब हुस्न मुहीब जैसी
ख़लिश जो दिल में खटक रही है
नज़्म
ख़ुदा को अपने हम-ज़ाद का इंतिज़ार
मुनीर नियाज़ी
नज़्म
मुनीर नियाज़ी
उदास है तो बहुत ख़ुदाया
कोई न तुझ को सुनाने आया
वो सर जो तेरे उजाड़ दिल में
चराग़ बन कर चमक रही है
कोई न तुझ को दिखाने आया
अजीब हुस्न मुहीब जैसी
ख़लिश जो दिल में खटक रही है