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ख़ुदा को अपने हम-ज़ाद का इंतिज़ार | शाही शायरी
KHuda ko apne ham-zad ka intizar

नज़्म

ख़ुदा को अपने हम-ज़ाद का इंतिज़ार

मुनीर नियाज़ी

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उदास है तो बहुत ख़ुदाया
कोई न तुझ को सुनाने आया

वो सर जो तेरे उजाड़ दिल में
चराग़ बन कर चमक रही है

कोई न तुझ को दिखाने आया
अजीब हुस्न मुहीब जैसी

ख़लिश जो दिल में खटक रही है