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खेल | शाही शायरी
khel

नज़्म

खेल

निदा फ़ाज़ली

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आओ
कहीं से थोड़ी सी मिट्टी भर लाएँ

मिट्टी को बादल में गूँधें
नए नए आकार बनाएँ

किसी के सर पे चुटिया रख दें
माथे ऊपर तिलक सजाएँ

किसी के छोटे से चेहरे पर
मोटी सी दाढ़ी फैलाएँ

कुछ दिन इन से जी बहलाएँ
और ये जब मैले हो जाएँ

दाढ़ी चोटी तिलक सभी को
तोड़-फोड़ के गड-मड कर दें

मिली-जुली ये मिट्टी फिर से
अलग अलग साँचों में भर दें

नए नए आकार बनाएँ
दाढ़ी में चोटी लहराए

चोटी में दाढ़ी छुप जाए
किस में कितना कौन छपा है

कौन बताए