मेरा प्यारा नन्हा यहाँ सो रहा है
उसे फूल से प्यार था
वो ख़ुद फूल था
मैं हर सुब्ह आता हूँ कुछ फूल ले कर
उसे ताज़ा फूलों की चादर से ढक कर
चला जाता हूँ
ताकि कल सुब्ह तक उस की मासूम रूह
अपने फूलों की आग़ोश में
मुस्कुराती रहे
नज़्म
कतबा(6)
ख़लील-उर-रहमान आज़मी