EN اردو
करोगे याद तो हर बात याद आएगी | शाही शायरी
karoge yaad to har baat yaad aaegi

नज़्म

करोगे याद तो हर बात याद आएगी

बशर नवाज़

;

करोगे याद तो हर बात याद आएगी
गुज़रते वक़्त की हर मौज ठहर जाएगी

ये चाँद बीते ज़मानों का आइना होगा
भटकते अब्र में चेहरा कोई बना होगा

उदास राह है कोई दास्ताँ सुनाएगी
करोगे याद तो हर बात याद आएगी

बरसता भीगता मौसम धुआँ धुआँ होगा
पिघलती शम्अ' पे चेहरा कोई गुमाँ होगा

हथेलियों की हिना याद कुछ दिलाएगी
करोगे याद तो हर बात याद आएगी

गली के मोड़ पे सूना सा कोई दरवाज़ा
तरसती आँख में रस्ता किसी का देखेगा

निगाह दूर तलक जा के लौट आएगी
करोगे याद तो हर बात याद आएगी