EN اردو
कहानी जो अधूरी थी | शाही शायरी
kahani jo adhuri thi

नज़्म

कहानी जो अधूरी थी

अंबरीन हसीब अंबर

;

ये किस ने आग होते रोज़-ओ-शब में
मुझ को माँ कह कर पुकारा है

कि जिस की प्यार में डूबी हुई आवाज़ ने
हर आग को शबनम बनाया है

कि अब रुत्बा मुझे माँ का दिलाया है
मिरे बच्चे

मैं तेरी मुंतज़र
शायद अज़ल से थी

तिरे ही वास्ते शायद मैं जन्नत छोड़ कर
दुनिया में आई थी

कि अब जो तुझ को पाया है
मिरे जलते बदन में मामता की छाँव उतरी है

मिरे बच्चे
मैं अब सहरा नहीं

ऐसा शजर हूँ
जिस के साए में

फ़क़त तू ही नहीं
बे-ख़्वाब मेरी ज़िंदगी भी

बहुत आसूदगी में खो गई है
कहानी जो अधूरी थी मुकम्मल हो गई है