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काला समुंदर | शाही शायरी
kala samundar

नज़्म

काला समुंदर

अली ज़हीर लखनवी

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साफ़-ओ-शफ़्फ़ाफ़ पानी का धारा
क़ुतुब-ए-शुमाली से

क़ुतुब-ए-जुनूबी तक
एक लकीर सी बनाए हुए है

इस साफ़-ओ-शफ़्फ़ाफ़ धारे को
सियाह समुंदरों ने घेर लिया है

सियाह समुंदर
न तो तूफ़ान उठा सकता है

न ही किसी को डुबो सकता है
वो तो सिर्फ़ ख़ौफ़-ज़दा कर सकता है