साफ़-ओ-शफ़्फ़ाफ़ पानी का धारा
क़ुतुब-ए-शुमाली से
क़ुतुब-ए-जुनूबी तक
एक लकीर सी बनाए हुए है
इस साफ़-ओ-शफ़्फ़ाफ़ धारे को
सियाह समुंदरों ने घेर लिया है
सियाह समुंदर
न तो तूफ़ान उठा सकता है
न ही किसी को डुबो सकता है
वो तो सिर्फ़ ख़ौफ़-ज़दा कर सकता है
नज़्म
काला समुंदर
अली ज़हीर लखनवी