मुझ को अब भी याद है इक दिन
घर वालों की आँख बचा कर
मैं ने इक सूने कमरे में
इक लड़की को चूम लिया था
अब वो लड़की माँ है, उस के
काले पीले बच्चे हैं
बच्चे मेरी गोद में आ कर
मुझ को अब्बा कहते हैं
नज़्म
जुर्म ओ सज़ा
मोहम्मद अल्वी
नज़्म
मोहम्मद अल्वी
मुझ को अब भी याद है इक दिन
घर वालों की आँख बचा कर
मैं ने इक सूने कमरे में
इक लड़की को चूम लिया था
अब वो लड़की माँ है, उस के
काले पीले बच्चे हैं
बच्चे मेरी गोद में आ कर
मुझ को अब्बा कहते हैं