जिस्म की भी एक जम्हूरियत है
जो हर कस-ओ-ना-कस में बे-नाम तक़्सीम हो के
आदमी को बे-असर कर देती है
जिस्म की भी एक आमरिय्यत होती है
जो किसी एक में जल बुझ के
सब के लिए राख बन जाती है
नज़्म
जिस्म का निज़ाम
अहमद हमेश
नज़्म
अहमद हमेश
जिस्म की भी एक जम्हूरियत है
जो हर कस-ओ-ना-कस में बे-नाम तक़्सीम हो के
आदमी को बे-असर कर देती है
जिस्म की भी एक आमरिय्यत होती है
जो किसी एक में जल बुझ के
सब के लिए राख बन जाती है