EN اردو
जिस का कोई इंतिज़ार न कर रहा हो | शाही शायरी
jis ka koi intizar na kar raha ho

नज़्म

जिस का कोई इंतिज़ार न कर रहा हो

अफ़ज़ाल अहमद सय्यद

;

जिस का कोई इंतिज़ार न कर रहा हो
उसे नहीं जाना चाहिए

वापस
आख़िरी दरवाज़ा बंद होने से पहले

जिस का कोई इंतिज़ार न कर रहा हो
उसे नहीं फिरना चाहिए

बे-क़रार
एक ख़ूबसूरत राहदारी में

जब तक वो वीरान न हो जाए
जिस का कोई इंतिज़ार न कर रहा हो

उसे नहीं जुदा करना चाहिए
ख़ून-आलूद पाँव से

एक पूरा सफ़र
जिस का कोई इंतिज़ार न कर रहा हो

उसे नहीं मालूम करनी चाहिए
फूलों के एक दस्ते की क़ीमत

या दिन तारीख़ और वक़्त