बचपन में बूढ़ों से सुना था
कुछ लोगों पर जिन आते हैं
जो उन को भगाए फिरते हैं
वो जो कुछ भी कहते हैं
अपने-आप नहीं कहते हैं
जिन उन से कहलाते हैं
अब अपनी आँखों से देखा है
कुछ लोगों पर लफ़्ज़ आते हैं
जो उन को भगाए फिरते हैं
वो जो कुछ भी कहते हैं
अपने-आप नहीं कहते हैं
लफ़्ज़ उन से कहलाते हैं
नज़्म
जिन
सलीम अहमद