EN اردو
जंगल | शाही शायरी
jangal

नज़्म

जंगल

हमीदा शाहीन

;

शेर की अपनी ख़ुदाई
रीछ के अपने ज़वाबित

भेड़िये का अपना ही क़ानून
उन पर

हर्फ़-गीरी का किसी को हक़ नहीं
मच्छरों को हुक्म है

वो अपनी भीं भीं से ग़रज़ रखा करें