शेर की अपनी ख़ुदाई
रीछ के अपने ज़वाबित
भेड़िये का अपना ही क़ानून
उन पर
हर्फ़-गीरी का किसी को हक़ नहीं
मच्छरों को हुक्म है
वो अपनी भीं भीं से ग़रज़ रखा करें
नज़्म
जंगल
हमीदा शाहीन
नज़्म
हमीदा शाहीन
शेर की अपनी ख़ुदाई
रीछ के अपने ज़वाबित
भेड़िये का अपना ही क़ानून
उन पर
हर्फ़-गीरी का किसी को हक़ नहीं
मच्छरों को हुक्म है
वो अपनी भीं भीं से ग़रज़ रखा करें