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जन्म दिन | शाही शायरी
janam din

नज़्म

जन्म दिन

अली साहिल

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आज फिर
मेरी आँखों ने दो अश्कों को जनम दिया है

एक अश्क
मेरे दिल पर गिरा है

और दूसरा
मेरी जेब में

दिल की तो चलो ख़ैर है
लेकिन जेब में गिरने वाले अश्क ने

मेरे अरमानों को आग लगा दी है
जिसे

मैं अपने अंदर की आग से
मज़ीद भड़का रहा हूँ

सर्दियों की तवील रातें
इस आग पर हाथ तापते हुए बहुत अच्छी गुज़रेंगी