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जल्सा | शाही शायरी
jalsa

नज़्म

जल्सा

ख़दीजा ख़ान

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शामियानों के अंदर
मुस्कुराहटें

हर एक चीज़ पे चस्पाँ हैं
रंज-ओ-ग़म का

कहीं भी
निशाँ नहीं

ख़ूबसूरत लिबासों में
लिपटे हुए

ख़ास-ओ-आम लोग
ख़ुशी का मुलम्मा' चढ़ाए

ख़ूब बढ़ा रहे हैं
जलसे की रौनक़