शामियानों के अंदर
मुस्कुराहटें
हर एक चीज़ पे चस्पाँ हैं
रंज-ओ-ग़म का
कहीं भी
निशाँ नहीं
ख़ूबसूरत लिबासों में
लिपटे हुए
ख़ास-ओ-आम लोग
ख़ुशी का मुलम्मा' चढ़ाए
ख़ूब बढ़ा रहे हैं
जलसे की रौनक़
नज़्म
जल्सा
ख़दीजा ख़ान
नज़्म
ख़दीजा ख़ान
शामियानों के अंदर
मुस्कुराहटें
हर एक चीज़ पे चस्पाँ हैं
रंज-ओ-ग़म का
कहीं भी
निशाँ नहीं
ख़ूबसूरत लिबासों में
लिपटे हुए
ख़ास-ओ-आम लोग
ख़ुशी का मुलम्मा' चढ़ाए
ख़ूब बढ़ा रहे हैं
जलसे की रौनक़