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जब शाम शहर में आती है | शाही शायरी
jab sham shahr mein aati hai

नज़्म

जब शाम शहर में आती है

सलमान सईद

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जब शाम शहर में आती है
मैं इस को घर ले आता हूँ

और बीते दिनों की यादों से
अपने मन को बहलाता हूँ

इन यादों में कोई अपना सा
चेहरा ये मुझ से कहता है

क्या बात है हर पल दिल तेरा
क्यूँ खोया खोया रहता है

फिर पत्थर की दीवारों पर
कुछ साए से लहराते हैं

और अजब तरह से हँस हँस कर
जाने क्यूँ मुझे डराते हैं