जाने क्या है मौत, क्या है ज़िंदगी
चलते चलते कैसे थम जाती हैं तस्वीरें तमाम
ख़ाक हो जाती है फिर से मुश्त-ए-ख़ाक
गाहे गाहे संग हो जाते हैं चेहरों के नुक़ूश
अपने अपने ज़ाविए पर मुंजमिद
दम-ब-ख़ुद रहते हैं महव-ए-इंतिज़ार
नज़्म
जाने क्या है
ख़ुर्शीद रिज़वी