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जान तुम कितनी नादाँ हो | शाही शायरी
jaan tum kitni nadan ho

नज़्म

जान तुम कितनी नादाँ हो

मैराज नक़वी

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जान तुम कितनी भोली हो
ख़्वाबों से मोहब्बत करती हो

क्या तुम को मा'लूम नहीं है
ख़्वाब देखने की ख़ातिर

अंखों को बंद करना पड़ता है
बे-ख़बर जग से होना पड़ता है

जान तुम कितनी नादाँ हो
जान तुम कितनी भोली हो