EN اردو
इंक़िलाब | शाही शायरी
inqalab

नज़्म

इंक़िलाब

ख़ुर्शीदुल इस्लाम

;

वो कारवान-ए-गुल-ए-ताज़ा जिस के मुज़्दे से
दिमाग़-ए-इश्क़ मोअत्तर है और फ़ज़ा मामूर

दिलों से कितना क़रीं है नज़र से कितनी दूर