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इक नई दुनिया का सबब | शाही शायरी
ek nai duniya ka sabab

नज़्म

इक नई दुनिया का सबब

ख़ुर्शीद अकरम

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इस से पहले की हम
एक ग़मनाक कहानी के किरदार हो जाएँ

आओ अपने हिस्से की धूप ले कर
हवा हो जाएँ

किसी और सय्यारे में जा बसें
आदम और हव्वा हो जाएँ

फिर ख़ता करें ख़ुदाई से घबरा कर
और इस जुर्म-ए-मोहब्बत की सज़ा पाएँ

इक नई दुनिया का सबब हो जाएँ