EN اردو
इक इनआ'म के कितने नाम हैं | शाही शायरी
ek inam ke kitne nam hain

नज़्म

इक इनआ'म के कितने नाम हैं

अख़्तर हुसैन जाफ़री

;

इक पहचान के कितने इस्म हैं
इक इनआ'म के कितने नाम हैं

तेरा नाम वो बादल जिस का पैग़मबर पर दश्त-ए-जबल में साया है
तेरा नाम वो बरखा जिस का रिम-झिम पानी

वादी में दरिया कहलाए और समुंदर बनता जाए
तेरा नाम वो सूरज जिस का सोना सब की मिल्किय्यत है

जिस का सिक्का मुल्कों मुल्कों जारी है
तेरा नाम वो हर्फ़ जिसे इम्कान की लौह पर देख के मैं ने

पेश-ओ-पस से नुक़्ता नुक़्ता जोड़ लिया है
इस्मों वाले हर्फ़ों वाले नामों वाले

मुझ को भी इक नाम अता कर
मेरी झोली मिदहत करती बूंदों किरनों चमकीले हर्फ़ों से भर दे