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इजतिमाई मुबाशरत | शाही शायरी
ijtimai mubasharat

नज़्म

इजतिमाई मुबाशरत

सय्यद काशिफ़ रज़ा

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तारीख़ से इजतिमाई मुबाशरत
हम ने खेल समझ कर शुरूअ की

फिर शोर बढ़ता गया
और हमारा शौक़ देख कर

हमारी बुरीदा तारीख़
हमारी ज़ौजियत में दी गई

अब उस के बच्चे कुत्तों से ज़ियादा हैं