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हुस्न मंज़र में नहीं है | शाही शायरी
husn manzar mein nahin hai

नज़्म

हुस्न मंज़र में नहीं है

नईम जर्रार अहमद

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हुस्न मंज़र में कहाँ है
ये हमारे मन की आँखों में कहीं है

मन की आँखें खुल सकें जो
तो हर इक मंज़र हसीं है

हुस्न मंज़र में नहीं है